Himanshu, Prem Shankar Tripathi

Shaivalini - 1st - Delhi: Gyan Ganga, 2013 - 130p.: 8x10x1; Hardcover

किताब के बारे में: सनातन संस्कृति में धर्म जीवन से अलग नहीं है। जीवन का मार्ग धर्म के पथ से ही होकर जाता है। अतएव जीवन और धर्म दो विभिन्न अस्तत्व नहीं हैं। धर्म के विविध वर्णों को एक सतरंगी इन्द्रधनुष की तरह अपने जीवन-आकाश में स्थापित करना ही प्रत्येक मानव का लक्ष्य होना चाहिए। इसी प्रेरणा को विभिन्न लेखों के माध्यम से पाठकों तक प्रेषित करने का एक प्रयास है ‘शैवालिनी’।

9789382901433


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